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ए री सखी, ठुमरी

 ए री सखी मोरा पिया घर आए ए री सखी मोरा पिया घर आए  भाग लगे इस आंगन को  बलबल जाऊं मैं अपने पिया के,  चरण लगायो निर्धन को!  ए री सखी -------  मैं तो खड़ी थी आज से लगाये, मेहंदी कजरा मांग सजाये!  देख सुरतिया अपनी पिया की, हार गई मैं तन मन को!  ए री सखी -------  जिसका पिया संग बीते सावन, उसे दुल्हन की रन सुहागन! जी सावन में पिया घर नहीं, आग लगे उसे आंगन को!  ऐ री सखी --------  अपने पिया को मैं किस विधि पाऊं, लाज की मेरी मैं तो डूबी डूबी जाऊं तुम ही जतन करो ए री सखी री, मैं मन भाऊ साजन को!  ए री सखी मोरा पिया घर आए  ए री सखी मोरा पिया घर आए!!

राष्ट्रगान

  जन गण मन अधिनायक जय हे   भारत भाग्य विधाता  पंजाब सिंध गुजरात मराठा  द्रविड़ उत्कल बंग  विंध्य हिमाचल यमुना गंगा  उच्छल जलधि तरंगा  तब शुभ नामे जागे  तब शुभ आशीष मांगे  गाहे तब जय  गाथा  जन गण मंगल दायक जय हे  भारत - भाग्य विधाता  जय हे......जय हे......जय हे......  जय - जय - जय हे.!  भारत माता की जय🙏 🙏🙏🙏🙏🙏  राष्ट्रगान की स्वरलिपि (8 मात्रा में ) (किंचित म'कोमल )   1   2   3   4  l  1  2   3   4 X                  O  सा  रे   ग   ग    ग  ग  ग   ग    ज   न   ग  ण    म  न  अ   धि ग   ग   ग   ग     रे   ग   म   म   ना s   य   क    ज   य  ...