ए री सखी, ठुमरी
ए री सखी मोरा पिया घर आए
ए री सखी मोरा पिया घर आए
भाग लगे इस आंगन को
बलबल जाऊं मैं अपने पिया के,
चरण लगायो निर्धन को!
ए री सखी -------
मैं तो खड़ी थी आज से लगाये,
मेहंदी कजरा मांग सजाये!
देख सुरतिया अपनी पिया की,
हार गई मैं तन मन को!
ए री सखी -------
जिसका पिया संग बीते सावन,
उसे दुल्हन की रन सुहागन!
जी सावन में पिया घर नहीं,
आग लगे उसे आंगन को!
ऐ री सखी --------
अपने पिया को मैं किस विधि पाऊं,
लाज की मेरी मैं तो डूबी डूबी जाऊं
तुम ही जतन करो ए री सखी री,
मैं मन भाऊ साजन को!
ए री सखी मोरा पिया घर आए
ए री सखी मोरा पिया घर आए!!
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